क्या ये प्यार तो नहीं

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क्या ये प्यार तो नहीं ? बैठा था आँखें बंद किए , इक दस्तक सी सुनाई दी , सोचा तुम आई, पर तुम कहीं नहीं थी । फिर धड़कनें बढ़ गयी, और दिल में हलचल मच गयी, और तुम्हारे बदन की खुश्बू हवाओं में फैल गयी, पर तुम कहीं नहीं थी । क्यूँ ये नज़रें ढूँढती है तुम्हें , देखती हैं तुम्हें, जबकि तुम यहाँ हो ही नहीं । बेताबी सी बढ़ गयी है , ऐसा लगता है, तुम यहीं हो कहीं । क्या ये प्यार तो नहीं ?

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