हम रोने का हुनर सीख गए तुम आकर आँसू में भींज गए मेरे जज़्बात के हर कतरे

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हम रोने का हुनर सीख गए तुम आकर आँसू में भींज गए मेरे जज़्बात के हर कतरे में तुम बहने की अदाएँ सीख गए फिजा की बिखरी यादों में फूलों में सँवरे काँटों में कायनात के दर्द की सोहबत में हम जीना-मरना सीख गए शाम की धुंधली राहों पर गम की अँधेरी रातों पर ख्वाब के टूटे शीशों पर मुस्कुरा के चलना सीख गए जख़्म के पहलू में सोकर नग़मों को कागज पे लिखकर अपनों के प्यार से दूर होकर हम जीवन जीना सीख गए

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