अब के सावन में ये शरारत मेरे साथ हुई

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अब के सावन में ये शरारत मेरे साथ हुई, मेरा घर छोड़ के कुल शहर में बरसात हुई. आप मत पूछिए क्या हम पे सफ़र में गुजरी? था लुटेरों का जहाँ गाँव वहीं रात हुई. ज़िंदगी-भर तो हुई गुफ़्तगू गैरों से मगर, आज तक हमसे न हमारी मुलाक़ात हुई. हर गलत मोड़ पे टोका है किसी ने मुझको, एक आवाज़ जब से तेरी मेरे साथ हुई. मैंने सोचा कि मेरे देश की हालत क्या है, एक कातिल से तभी मेरी मुलाक़ात हुई.

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