रात की खुमारी बढ रही हैं नींद अपनी आगोश में मुझे जकड रही हैं ये समाँ इतना

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रात की खुमारी बढ रही हैं नींद अपनी आगोश में मुझे जकड रही हैं ये समाँ इतना हसीं हैं ख्वाबों आ रही कोई परी हैं होले से मेरे कानो में वो कुछ कह रही हैं तुम भी सुनना चाहो उसकी बात आँखे बंद करो और सो जाओ चुपचाप शुभ रात्रि मित्रों

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