दर्द की जब कभी इन्तहा होती हैं

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दर्द की जब कभी इन्तहा होती हैं
दवा की जरुरत फिर कहाँ होती हैं
तन्हाई, बेचैनी और बस कुछ आहें
इनमे पल कर ही मोहब्बत जवां होती हैं

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