कहाँ छुपा के रख दूँ मैं अपने हिस्से की शराफ़त SHARE FacebookTwitter कहाँ छुपा के रख दूँ मैं अपने हिस्से की शराफ़त, जिधर भी देखता हूँ उधर बेईमान खड़े हैं, क्या खूब तरक्की कर रहा है अब देश देखिये, खेतों में बिल्डर और सड़कों पर किसान खड़े हैं! SHARE FacebookTwitter