है भारत की शान तिरंगा,
इसको न झुकने देंगे हम,
वीरों की कुर्बानी को,
व्यर्थ न जाने देंगें हम.
भारत माँ के सेवक हैं हम,
माँ की रक्षा हम करेंगें,
बुरी नियत से जो देखेगा,
उसका खात्मा हम करेंगें.
दी शरण है हमने तब-तब,
जब कोई है संकट आया,
खुद भूखे रह कर भी हम ने,
शरणार्थी को खाना खिलाया.
जहां है बहती ज्ञान की धारा,
वो भारत हमें है जान से प्यारा,
सीता राम की धरती है जो,
ऐसा भारत देश हमारा.
न जाती न भाषा देखी,
सबको अपना मीत बनाया,
मिला जो भी हमें प्यार से,
सबको 'दीप' गले लगाया.
कविता:दीपक कुमार 'दीप'