ये आलम शौक़...
ये आलम शौक़ का देखा न जाये;
वो बुत है या ख़ुदा देखा न जाये;
ये किन नज़रों से तुम ने आज देखा;
के तेरा देखना देखा ना जाये;
हमेशा के लिये मुझ से बिछड़ जा;
ये मन्ज़र बारहा देखा न जाये;
ग़लत है जो सुना पर आज़मा कर;
तुझे ऐ बावफ़ा देखा न जाये;
ये महरूमी नहीं पास-ए-वफ़ा है;
कोई तेरे सिवा देखा न जाये;
यही तो आश्ना बनते हैं आख़िर;
कोई नाआश्ना देखा न जाये;
'फ़राज़' अपने सिवा है कौन तेरा;
तुझे तुझ से जुदा देखा न जाये।