तू हजार बार रुठेगी फिर भी तुझे मना लूँगा …

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तू हजार बार रुठेगी फिर भी तुझे मना लूँगा …
तुझसे प्यार किया हे कोई गुनाह नही,
जो तुझसे दूर होकर खुद को सजा दूँगा..

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