कर गया ना इश्क बर्बाद?
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और गीत गाओ महोब्बत के!
मैं तो चिराग हूँ, तेरे आशियानों का कभी न कभी तो बुझ जाऊंगा;
आज तुझे शिकायत है, मेरे उजाले से, कल 'अँधेरे' में बहुत याद आऊंगा!
तेरी जुदाई भी हमें प्यार करती है;
तेरी याद बहुत बेकरार करती है;
वह दिन जो तेरे साथ गुज़ारे थे;
नज़रें तलाश उनको बार-बार करती हैं!