कभी खुशी की आशा SHARE FacebookTwitter कभी खुशी की आशा, कभी गम की निराशा; कभी खुशियों की धूप, कभी हक़ीक़त की छाया; कुछ खोकर कुछ पाने की आशा; शायद यही है ज़िंदगी की सही परिभाषा। सुप्रभात!More SHARE FacebookTwitter