सावन का माह झरे रिमझिम फुहार

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सावन का माह झरे रिमझिम फुहार, रक्षा बंधन का लो आया पावन त्यौहार;
नए नए कपड़ों में सजे हैं भाई बहन, सब के मनों में देखो उमड़ रहा प्यार;
रेशम के धागों का है यह मजबूत बंधन, माथे पर चमके चावल रोली और चन्दन;
प्यार से मिठाई खिलाये बहन प्यारी, देख इसे छलक उठीं ऑंखें भर आया मन;
रिश्तों में रुपयों का दखल अब आये न, क्या दिया क्या पाया मन न भरमाये;
प्यार से बड़ा जग में और कुछ नहीं है होता, बहना को भाई और भाई बहन को ना कभी भुलाये।

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