न माँ की मार से SHARE FacebookTwitter न माँ की मार से, न पिता के अत्याचार से; न लड़की के इंकार से, न ही चप्पलों की मार से; लड़के डरते हैं, तो बस 'राखी' के त्योंहार से! रक्षा बंधन का हार्दिक अभिनन्दन! More SHARE FacebookTwitter
ओस की बूंदों से भी प्यारी है, मेरी बहना, गुलाब की पंखुड़ियों से भी नाज़ुक है, मेरी बहना; आसमाँ से .......Read Full Message
कभी बहनें हमसे लड़ती है, कभी हमसे झगड़ती हैं; लेकिन बहनें ही, हमारे सबसे करीब होती हैं; .......Read Full Message