लफ्ज़ वही हैं

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लफ्ज़ वही हैं, माईने बदल गये हैं; किरदार वही, अफ़साने बदल गये हैं; उलझी ज़िन्दगी को सुलझाते सुलझाते; ज़िन्दगी जीने के बहाने बदल गये हैं।

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