हर मुलाक़ात पर वक़्त का तकाज़ा हुआ

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हर मुलाक़ात पर वक़्त का तकाज़ा हुआ; हर याद पर दिल का दर्द ताज़ा हुआ; सुनी थी सिर्फ लोगों से जुदाई की बातें; आज खुद पर बीती तो हक़ीक़त का अंदाज़ा हुआ।

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