अपनी हीं जिंदगी अपनी सी नही लगती

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अपनी हीं जिंदगी अपनी सी नही लगती,
सामने वाले के हाथों का खिलौना बन गयी,
मानो जिंदगी का रिमोट दूसरों के हाथ है।
ओ जब चाहे! जैसे चाहे! रुला और हशे सकता है।

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