शिकायतें तो बहुत हैं तुझसे ऐ ज़िन्दगी

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शिकायतें तो बहुत हैं तुझसे ऐ ज़िन्दगी;
पर चुप इसलिए हूँ कि जो दिया तूने वो भी बहुत लोगों को नसीब नहीं होता!

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