बच्चों को खिलाकर जब सुलादेती है माँ ,
तब जाकर थोडा सा सुकोन पाती है माँ ;
रूह के रिश्तों की ये गहरायीतो देखो ,
चोट लगती है हमें और चिल्लातीहै माँ ;
मांगती नहीं अपने लिए कुछ भी भगवान से ,
अपने बच्चों के लिए दामन फैलाती है माँ ;
प्यार कहते हैं किसे ? और ममता क्या चीज़ है ?,
कोई उन बच्चों से पूछे जिनकी गुज़र जाती है माँ ;
चाहे हम खुशियों में माँ को भूल जाएँ ,
जब मुसीबत सर पर आती है तो याद आती है माँ.