हाथ मे चरखी आसमान मे पतंग लहराती हो

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हाथ मे चरखी आसमान मे पतंग लहराती हो
मूँह मे तिल:चिक्की और लड्डू की मिठास हो
*जूबाँ पर "वो काटा...वो मारा" का नारा हो*
यही दूऑ है हमारी सबके लिये आझ:कल तो बस
सूबह से शाम तलक सिर्फ पतंगबाझी का ही नझारा हो

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