मेरे कदमो में सर झुका कर मुझको खुदा कर गया।
सीने से लगा कर वो मुझको खुद से जुदा कर गया।
मेरे दिल में बस अपनी यादों का जहाँ छोड़ गया।
महफ़िल में बैठा कर वो मुझको तन्हा छोड़ गया।
एक अजीब सा दर्द छुपा है इस दिल के छालों में।
जिन्दगी उलझ सी गयी है जबाबों और सवालों में।
क्यूँ रहता है हरपल उसी का चेहरा मेरे ख्यालो में।
क्या अब भी लगाता है कोई फूल उसके बालों में।
रवि अब तो वो गुल गुलशन और कलियां ना रही।
जैसी छोड़ गए थे वो वैसी अब ये गलियाँ ना रही।