दर्द को मुलाइजा करे
मेरे लिए भी दुआ करे
खुद से रूबरू हो जाऊं
ऐसा भी कभी खुदा करे
ज़िन्दगी के लिए जरूरी
एक दूसरे से वफ़ा करे
उनको देखना गुनाह हैं
वो चाहे मुझे सजा करे
दगा खाने की है हिम्मत
वो ही किसी से दगा करे
जैसे हम बिछड़े है सनम
किसी को न वो जुदा करे
आज दिल उदास है मेरा
हक मुहब्बत का अदा करे