आगे सफर था और पीछे हमसफर था,
रूकते तो सफर छूट जाता
और चलते तो हमसफर छूट जाता,
मंजिल की भी हसरत थी
और उनसे भी मोहब्बत थी,
ऐ दिल तू ही बता, उस वक्त मैं कहाँ जाता,
मुद्दत का सफर भी था
और बरसो का हमसफर भी था,
रूकते तो बिछड जाते और चलते तो बिखर जाते
यूँ समँझ लो...