जिंदगी में कुछ दोस्त खास बन गये
मिले तो मुलाकात और बिछड़े तो याद बन गये
कुछ दोस्त धीरे धीरे फिसलते चले गये
पर जो दिल से ना गये वो आप बन गये
कभी खुशी की आशा, कभी गम की निराशा,
कभी खुशियों की धूप, कभी हक़ीक़त की छाया,
कुछ खोकर कुछ पाने की आशा., शायद यही है
ज़िंदगी की सही परिभाषा…