एहसास-ए-आरज़ू को दिल से मिटा न सकोगे SHARE FacebookTwitter एहसास-ए-आरज़ू को दिल से मिटा न सकोगे; भूलना चाहो हमें भुला न सकोगे; ये चिराग़-ए-दोस्ती दिल से जलाया हैं हमनें; जल जाओगे मगर इसे बुझा ना सकोगे! SHARE FacebookTwitter
Teri dosti ki tarif juban pe aane lagi, tumse dosti ki or zindagi muskurane la.......Read Full Message