ऐसो बसंत नही बार बार फागण के दिन चार होली खेल के मना रे सील सन्तोष के केशर

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ऐसो बसंत नही बार बार फागण के दिन चार होली खेल के मना रे सील सन्तोष के केशर घोली प्रेम प्रीत पीचकार रे उडत गुलाल लाल भायो अम्बर बरसात अपार रे - मीरा बाई प्रेम के रंगो से रंगो अपनी जिन्दगी होली लाये तुम्हारे लिए मुस्कुराहट ओर ढेर सारी खुशी।

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