ऐसो बसंत नही बार बार फागण के दिन चार होली खेल के मना रे सील सन्तोष के केशर SHARE FacebookTwitter ऐसो बसंत नही बार बार फागण के दिन चार होली खेल के मना रे सील सन्तोष के केशर घोली प्रेम प्रीत पीचकार रे उडत गुलाल लाल भायो अम्बर बरसात अपार रे - मीरा बाई प्रेम के रंगो से रंगो अपनी जिन्दगी होली लाये तुम्हारे लिए मुस्कुराहट ओर ढेर सारी खुशी। SHARE FacebookTwitter