कुदरत भी कहे हसीन पल को की तू मेरे नींदों में ख्वाब बिखेरता है । कभी

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कुदरत भी कहे हसीन पल को की तू मेरे नींदों में ख्वाब बिखेरता है । कभी सरगोशीं सतरंगी ख्वाब सजाता है, कभी ये अश्को के पानी मे डुबाता जाता है ।

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