कोई समझे ना समझे हम को बेशक मगर आप तो समझते हैं

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कोई समझे ना समझे हम को बेशक मगर आप तो समझते हैं;
अपना बनाते हैं मेरे हर गम को तभी तो हम संभलते हैं;
खुदा हर एक ख़ुशी दे आपको हर एक गम हमको नसीब हो;
बस यही दिल में सोचकर हर एक दुआ करते हैं।
सुप्रभात!

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