जीवन में "परेशानिया" चाहे जितनी हों

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जीवन में "परेशानिया" चाहे जितनी हों,
"चिंता" करने से और ज्यादा होती हैं,
"खामोश" होने से बिलकुल "कम",
"सब्र" करने से "खत्म" हो जाती हैं,
तथा परमात्मा का "शुक्र" करने से
"खुशियो" मे बदल जाती हैं।
सुप्रभात!

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