बन कर गुलाब मुस्कुराना ऐ ज़िंदगी SHARE FacebookTwitter बन कर गुलाब मुस्कुराना ऐ ज़िंदगी; इसी तरह अपने ग़म भुलाना ऐ ज़िंदगी; जीत की ख़ुशी हुई तो क्या हुआ; हार कर भी खुशियाँ बाँटना ऐ ज़िंदगी। सुप्रभात!More SHARE FacebookTwitter