कभी ना कहो कि दिन अपने खराब हैं SHARE FacebookTwitter कभी ना कहो कि दिन अपने खराब हैं, समझ लो कि हम काँटों से घिर गये गुलाब है..!More SHARE FacebookTwitter
Power of positive thinking. एक मनोवैज्ञानिक स्ट्रेस मैनेजमेंट के बारे में, अपने दर्शकों से मुखातिब था.. उसने पानी से भरा एक ग्लास उठाया... सभी ने समझा की अब "आधा खाली या आधा भरा है".. यही पूछा और स.......Read Full Message