ज़िन्दगी जाने कब से गुनगुना रही है कुछ कानों में

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ज़िन्दगी जाने कब से गुनगुना रही है कुछ कानों में.... ज़िम्मेदारियों के शोर में, अब कुछ सुनाई नहीं देता...!!!

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