अपनें पैरों पर खड़े रहते हुए "मरना" SHARE FacebookTwitter अपनें पैरों पर खड़े रहते हुए "मरना" . घुटनें टेक कर ”जीनें" से कहीं बेहतर है |More SHARE FacebookTwitter
Power of positive thinking. एक मनोवैज्ञानिक स्ट्रेस मैनेजमेंट के बारे में, अपने दर्शकों से मुखातिब था.. उसने पानी से भरा एक ग्लास उठाया... सभी ने समझा की अब "आधा खाली या आधा भरा है".. यही पूछा और स.......Read Full Message