एहा संधिआ परवाणु है जितु हरि प्रभु मेरा चिति आवै ॥ SHARE FacebookTwitter एहा संधिआ परवाणु है जितु हरि प्रभु मेरा चिति आवै ॥ हरि सिउ प्रीति ऊपजै माइआ मोहु जलावै ॥ गुर परसादी दुबिधा मरै मनूआ असथिरु संधिआ करे वीचारु ॥ नानक संधिआ करै मनमुखी जीउ न टिकै मरि जमै होइ खुआरु ॥१॥ गुरुपुरब की हार्दिक बधाई! SHARE FacebookTwitter
धोखे से कमाए हुए पैसे को पुण्य के काम में लगाओगे तो पुण्य उसे ही मिलेगा जिसे तुमने धोखा दि.......Read Full Message
तन महि मैल नाही मन राता ॥ गुर बचनी सच सबदि पछाता ॥ तेरा ताण नाम की वडिआई ॥ नानक रहणा भगति सरणाई ॥४॥१०॥ जिसका मन प्रभु के अभ्यस्त है, उसके शरीर में कोई प्रदूषण नहीं है; ग.......Read Full Message
मन में सींचो हर हर नाम अंदर कीर्तन होर गुण गाम, ऐसी प्रीत करो मन मेरे आठ पहर प्रभ जानो नेहरे, कहो गुरु जी का निर्मल बाग हर चरणी ता का मन लाग, नानक नीच कहे विचार वारिआ ना जावा एक वार,<.......Read Full Message