माता-पिता की जितनी ज़रुरत हमें बचपन में होती है

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माता-पिता की जितनी ज़रुरत हमें बचपन में होती है;
उतनी ही ज़रूरत उन्हें बुढ़ापे में हमारी होती है!

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