माता-पिता की जितनी ज़रुरत हमें बचपन में होती है SHARE FacebookTwitter माता-पिता की जितनी ज़रुरत हमें बचपन में होती है; उतनी ही ज़रूरत उन्हें बुढ़ापे में हमारी होती है! SHARE FacebookTwitter
कोयल अपनी भाषा बोलती है, इसलिये आज़ाद रहती है, किंतु तोता दूसरे कि भाषा बोलता है,.......Read Full Message