ठोकर इसलिए नहीं लहटी कि इंसान गिर ही जाये बल्कि ठोकर इसलिए लगती है कि

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ठोकर इसलिए नहीं लहटी कि इंसान गिर ही जाये बल्कि ठोकर इसलिए लगती है कि इंसान संभल जाये!
सुप्रभात!

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