ज़िंदगी का सारा खेल तो "वक़्त" रचता है!

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ज़िंदगी का सारा खेल तो "वक़्त" रचता है!
इंसान तो सिर्फ़ अपना "किरदार" निभाता है!
सुप्रभात!

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