मंज़िले इंसान के हौंसले आज़माती हैं

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मंज़िले इंसान के हौंसले आज़माती हैं;
सपनों के परदे आँखों से हटाती हैं;
तू हिम्मत मत हारना ऐ दोस्त;
क्योंकि ठोकरें ही तू इंसान को चलना सिखाती हैं।

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