गुज़र जायेगा यह दौर भी ज़रा इत्मीनान तो रख

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गुज़र जायेगा यह दौर भी ज़रा इत्मीनान तो रख;
जब तेज़ी ही नहीं ठहरी तो मंदी की क्या औकात है।

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