सुख और दुःख हमारे पारिवारिक सदस्य नहीं

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सुख और दुःख हमारे पारिवारिक सदस्य नहीं, मेहमान हैं।
जो बारी - बारी से आयेंगे, कुछ दिन ठहर कर चले जायेंगे। अगर वो नहीं आयेंगे तो हम अनुभव कहाँ से लायेंगे।

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