संतुलित दिमाग से जैसी कोई सादगी नहीं हैं

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संतुलित दिमाग से जैसी कोई सादगी नहीं हैं, संतोष जैसा कोई सुख नहीं हैं, लोभ जैसी कोई बीमारी नहीं हैं, और दया जैसा कोई पुण्य नहीं है।

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