प्रेम की दीक्षा बिना जीवन नीरस उत्साहीन

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प्रेम की दीक्षा बिना जीवन नीरस उत्साहीन, निराशा तथा नकारात्मक विचारों से घिरा रहता है। -प्रेमचंद !|!|! aaj ke vichar !|!|!

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