वो अंजुमन की आग में लिपटे हुए तारे आँसू के चिरागों से सुलगते नज़ारे आसमान की नज़र

SHARE

वो अंजुमन की आग में लिपटे हुए तारे आँसू के चिरागों से सुलगते नज़ारे आसमान की नज़र में अटके हुए सारे ना जाने आज चाँद भी कहाँ खो गया फलक का अँधेरा भी दरिया पे सो गया रोता है हर शै कि आज क्या हो गया शज़र के शाखों पे नशेमन की ख़ामोशी फैली है पंछियों में ये कैसी उदासी क्यूँ लग रही हर चीज़ आज जुदा सी बजती है सन्नाटे में झिंगुरों की झनक या टूट रही है तेरी चूड़ियों की खनक आती है आहटों से जख्मों की झलक ये रात कब बीतेगी मेरी जवानी की कब ख़त्म होगी कड़ियाँ मेरी कहानी की कब लाएगी तू खुशियाँ जिंदगानी की

SHARE