उसकी बाँहों में इस तरह गुजरी आज रात पता न चला कैसे हुआ सुबह साथ-साथ क्या प्यार

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उसकी बाँहों में इस तरह गुजरी आज रात पता न चला कैसे हुआ सुबह साथ-साथ क्या प्यार में ऐसा ही होता सभी को खो जाते हैं बहुत दूर, होता गजब एहसास चूमना उसके सर को, फिरना बालों में हाथ जन्नत नज़र आता, उसमें जाने है कैसी बात उसकी बाहों में इस तरह गुजरी आज रात ठहर जा ए वक्त तुझे है मेरी कसम साथ रहना चाहते हम जन्मों-जनम मुझे चाहिए न कोई चाँद न तारों की बारात बस हर लम्हा बीते मेरा अपनी जिंदगी के साथ उसकी बाँहों में इस तरह गुजरी आज रात.

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