सुनो… यूँ “चुप” से न रहा करो

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सुनो… यूँ “चुप” से न रहा करो, यूँ “खामोश” से जो हो जाते हो, तो दिल को “वहम” सा हो जाता है, कहीं “खफा” तो नही हो..?? कहीं “उदास” तो नही हो…?? तुम “बोलते” अच्छे लगते हो, तुम “लड़ते” अच्छे लगते हो, कभी “शरारत” से, कभी “गुस्से” से, तुम “हँसते” अच्छे लगते हो, सुनो… यूँ “चुप” से ना रहा करो।

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