सैकड़ों शिकायतें रट रखी थी

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सैकड़ों शिकायतें रट रखी थी,
उन्हें सुनाने को, किताबों की तरह,

वो मुस्कुरा के ऐसे गले मिले कि एक भी याद
नहीं आई|

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