मोहब्बत में न जाने कैसी ये अनहोनी हो गयी

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मोहब्बत में न जाने कैसी ये अनहोनी हो गयी
पता ही नहीं चला कब किस से मोहब्बत हो गयी

उन्होंने मेरे करीब आकर मुझे सीने से लगाया
मौसम हसीं होते ही बिन मौसम बरसात हो गयी

मेरे लबों को छू के प्यार का एहसास जगाया
जब लिया बांहो में मेरी दिल की धड़कन तेज हो गयी

उनके चेहरे की रौनक, नज़ारे नशीली देख मन बहका
उनको एक ही नजर देखा तो ये दिल इबादत हो गयी

हाथ थाम कर आज तुजसे ये वादा करते हैं सनम
की ये साँसे ये ज़िंदगानी अब सिर्फ तेरे नाम हो गयी

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