{ मेरा बचपन का शमां} ↓↓↓↓↓↓↓↓↓↓↓↓↓↓↓ वो भी क्या दिन थे

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{ मेरा बचपन का शमां} ↓↓↓↓↓↓↓↓↓↓↓↓↓↓↓ वो भी क्या दिन थे, ↓↓ जब मम्मी का प्यार. और पापा का कन्धा, ↓↓ ना पैसोँ की सोच, ना फतुर के सपने, ↓↓ न कल की चिन्ता, ना जिन्दगी के कुन्दे, ↓↓ पर अब कल की है चिन्ता, और अधुरे है सपने, ↓↓ सपनोँ को ढुन्डते-ढुन्डते कहाँ आ कये हम, ↓↓ आखिर...... इतने बडे क्युँ हे कये हम..!↓

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