मै लफ्जोँ मेँ कुछ भी इजहार नही करता

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मै लफ्जोँ मेँ कुछ भी इजहार नही करता, इसका मतलब ये नहीँ कि मै तुझे प्यार नहीँ करता, ♣ चाहता हुँ मै तुझे आज भी पर, तेरी सोच मेँ अपना वक्त बे-कार नहीँ करता, ♣ तमाशा ना बन जाये कही मोहब्बत मेरी, इसलिऐ अपने दर्द का नमुदार नहीँ करता,, ♣ जो कुछ मिला है उसी से खुश हुँ मै, तेरे लिये भगवान से तकरार नहीँ करता,, ♣ पर कुछ तो बात है तेरी फितर्त मेँ 'ऐ जालिम,, वरना मै तुझे चाहने की खता बार-बार नहीँ करता,, ♣ मै लफ्जोँ मेँ कुछ भी इजहार नही करता, इसका मतलब ये नहीँ कि मै तुझे प्यार नहीँ करता...!

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