हलकी हलकी जल की बूंदे

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हलकी हलकी जल की बूंदे, जब लेकर आते है बादल
मन मसोस कर रह जाती हूूँ, बह जाता है मेरा काजल

कैसे है ये बैरी बादल, पूछ रहा है ये मेरा आँचल..
आसमान भी कह रहा है, ये निर्मोही है काले बादल

कड़कड़ाहट आवाज़ से, प्रेमियों को कर देता है पागल
काली घटा जब छट जायेगी, जब समझेगे ये बादल

हमारी इल्तिज़ा है तुमसे, जरा रूक कर बरसों बादल
प्रेमी जब मेरा आ जाए, फिर जम कर बरसों बादल

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