फिर तुम वो ही बात करोगे झगड़ा मेरे साथ करोगे मुश्किल से जो खत्म हुआ है फिर उसकी

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फिर तुम वो ही बात करोगे झगड़ा मेरे साथ करोगे मुश्किल से जो खत्म हुआ है फिर उसकी शुरूआत करोगे बेमौेके की बहस छेड़कर बेमौसम बरसात करोगे कब तक आँखों ही आँखों में मेरी तहकीकात करोगे दुनियां की बातों में आकर कब तक दिन को रात करोगे इतना बोल चुके हो अब क्या दुश्मन को भी मात करोगे सुना सुलह करने आए हो क्या चुपके-से घात करोगे हमको नहीं था मालूम ऐसे भी हालात करोगे.

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